Rajura Highway Scam | राजुरा हाईवे पर भ्रष्टाचार की परतें

Mahawani
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The cost is being inflated and the quality of roads has deteriorated. The national highway passing through Rajura city is a recent, living example of this. Here are some photographs of the same.

राजुरा से लक्कड़कोट तक हाईवे निर्माण बना मौत का सफर | स्थानीयों ने खुद संभाला मोर्चा, प्रशासन मौन

Rajura Highway Scam | राजुरादेशभर में "विकास" के नाम पर सड़कों की मजबूती और चौड़ाई का डंका पीटा जा रहा है। ‘पानी के नीचे निर्माण’ जैसे लुभावने जुमलों के पीछे छिपकर सरकार और ठेकेदार एक बड़ा खेल खेल रहे हैं—खर्च बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है, और सड़कों की गुणवत्ता गर्त में जा चुकी है। राजुरा शहर से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय महामार्ग (नेशनल हाईवे) इसका ताजा, जीता-जागता उदाहरण है, जो भ्रष्टाचार की जड़ों में धंसा हुआ दिखाई दे रहा है।


डेढ़ महीने में ध्वस्त ‘रीटायर्ड’ रोड: गुणवत्ता की कब्र?

राजुरा शहर के बीचोंबीच से गुज़रने वाले राष्ट्रीय महामार्ग को डेढ़ महीने पहले ही 'रीटायरिंग' (सुधार कार्य) किया गया था। Rajura Highway Scam लेकिन जैसे ही पहली बारिश ने दस्तक दी, यह रोड जगह-जगह गड्ढों में तब्दील हो गया। यह कोई सामान्य तकनीकी चूक नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार की बानगी है।


इन जानलेवा गड्ढों को देख स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता महेश रेगुंडावार जैसे लोग खुद पेचवर्क करने उतर आए। उनका साथ देते हुए पूर्व पार्षद राजू डोहे ने स्पष्ट मांग की—“इस घटिया कार्य की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”


१७५० करोड़ का ‘डामरी सपना’—कहां गया पैसा?

बामनी से पारडी-कोरपना होते हुए लक्कड़कोट तक कुल ७५ किलोमीटर के स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में बदला गया है। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने १७५० करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि मंजूर की। Rajura Highway Scam सड़क की चौड़ाई, ऊंचाई और मजबूती के नाम पर यह प्रकल्प शुरू किया गया, जिसका प्रबंधन एक निजी कंपनी कर रही है।


कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि “काम तेजी से चल रहा है,” लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट है। न सुरक्षा मानक, न नागरिकों की सुविधा, न पारदर्शिता—सब कुछ ठेकेदारों के मुनाफे और विभागीय मिलीभगत की भेट चढ़ गया है।


मौतें हो रहीं हैं, कोई ज़िम्मेदार नहीं!

बीते कुछ महीनों में घटिया निर्माण, अधूरे रास्ते, और खतरनाक गड्ढों की वजह से अब तक ८ -१० लोगों की जानें जा चुकी हैं। कई नागरिक अपंग भी हो चुके हैं। Rajura Highway Scam फिर भी, ना तो सड़क निर्माण कंपनी पर कोई कार्रवाई की गई और न ही विभागीय जांच का कोई सुराग मिला।


क्या १७५० करोड़ का यह प्रकल्प केवल ठेकेदारों और अधिकारियों की जेबें भरने के लिए था? क्या आम जनता की जान की कोई कीमत नहीं?


हर छह महीने में "पैबंद", फिर वही गड्ढे

राजुरा शहर के लगभग ढाई किलोमीटर हिस्से में हर चार से छह महीने में गड्ढों पर पेचवर्क (पैबंद) लगाया जाता है। लेकिन इन पैचेस की हालत महज डेढ़ महीने में उखड़ जाती है। Rajura Highway Scam इसकी वजह?—घटिया मटेरियल का बेहिचक उपयोग।


इन खराब सड़कों पर चलने वाले दोपहिया वाहन चालकों, पैदल यात्रियों और बुजुर्गों की जान हर रोज़ संकट में रहती है। पेचवर्क के नाम पर केवल सरकारी पैसों की लूट और खानापूर्ति होती है।


जब प्रशासन सोया, तो जनता ने उठाया फावड़ा

राजुरा के नागरिक अब प्रशासन के भरोसे नहीं बैठे। Rajura Highway Scam कई दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों के सामने खुद गड्ढे भरना शुरू किया है। महेश रेगुंडावार उनमें से एक हैं, जो सड़क के गड्ढों को भरकर जान बचाने का काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि जब करोड़ों की परियोजना चल रही हो, तब जनता को खुद कुदाल क्यों उठानी पड़ती है?


सड़क नहीं, ‘दीवार’ बनती जा रही है!

बामणी से लेकर लक्कड़कोट तक कई स्थानों पर सड़क की ऊंचाई अनावश्यक रूप से बढ़ाई जा रही है। कई गांवों में सड़क की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि गांव दो भागों में बंट गए हैं। बरसात के पानी की निकासी नहीं हो रही, जिससे जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।


लक्कड़कोट जैसे सीमावर्ती गांव में तो सड़क की ऊंचाई की वजह से ग्रामीणों का आना-जाना ही बंद हो गया है। Rajura Highway Scam ग्रामवासियों ने कई बार निर्माण कार्य की ऊंचाई कम करने की शिकायत की, पर ठेकेदार और विभाग ने इसे सिरे से नज़रअंदाज़ किया।


‘ब्रीज’ का बढ़ा चढ़ाकर इस्टीमेट—सीधा घोटाले का खेल!

जहां नाले नहीं हैं, जहां बरसात का बहाव नहीं है, वहां भी ब्रीज और पुलों के निर्माण के नाम पर भारी भरकम खर्च दिखाया गया है। जानकारों का मानना है कि यह सारा खेल इस्टीमेट को बढ़ाकर कमीशनखोरी का है।


विधायक, सांसद की ‘हिदायतें’ भी बेअसर

विधायक देवराव भोगले और सांसद प्रतिभा धानोरकर ने स्वयं संबंधित कंपनी प्रबंधन को जनता की भावना के अनुरूप काम करने की हिदायत दी थी। लेकिन नतीजा? ठेकेदारों ने इसे गंभीरता से लेने की ज़रूरत ही नहीं समझी। Rajura Highway Scam इससे साफ है कि ठेकेदारों को ऊपर से राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।


डूबते जा रहे गट्टू, घटिया निर्माण का प्रमाण!

सड़क के किनारे लगाए जाने वाले सीमेंट के गट्टू (रेलिंग) भी घटिया निर्माण के शिकार हैं। बेस मज़बूत न होने की वजह से ये गट्टू दबकर धंस रहे हैं। Rajura Highway Scam बरसात के बाद इनमें बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे हैं, जो आनेवाले समय में दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे सकते हैं।


जनता की मांग—जांच हो, जवाबदेही तय हो

पूर्व पार्षद राजू डोहे, महेश रेगुंडावार, पतंजलि योग समिति के अरुण जमडाडे, प्रभाकर चन्ने, पुंडलीक उराडे समेत कई स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जांच होनी चाहिए। अगर किसी स्तर पर भ्रष्टाचार, लापरवाही या मिलीभगत पाई गई, तो दोषियों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।


सड़क पर गड्ढे नहीं, प्रशासन की नीयत में हैं!

यह प्रकरण केवल एक सड़क निर्माण का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की निष्क्रियता, भ्रष्टाचार और आम जनता के प्रति उपेक्षा का प्रतीक है। Rajura Highway Scam जब हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद सड़कें मौत का कारण बनें, जब नागरिक खुद गड्ढे भरने को मजबूर हों, और जब जनप्रतिनिधियों की हिदायतें भी हवा में उड़ जाएं—तो सवाल उठना लाज़मी है:

आख़िर ये १७५० करोड़ गए कहां? क्या कोई सरकार जवाब देगी?


What is the main issue with the Rajura highway construction?
The Rajura highway construction suffers from poor quality work, inflated estimates, and widespread corruption, resulting in dangerous potholes and public accidents.
How much money was sanctioned for the Rajura-Lakkadkot highway project?
A total of ₹1750 crore was sanctioned for the 75 km long highway for widening, strengthening, and upgrading it to national highway standards.
Have any casualties occurred due to the poor road conditions?
Yes, the defective construction has already claimed 8–10 lives and left many others injured or disabled, especially two-wheeler riders and pedestrians.
What action has been taken against the construction company?
Despite public complaints and local protests, no significant action has been taken against the company or officials responsible for the faulty construction.


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